बहुत बेचैन हूँ बात करने को
बहुत कशमकश में हूँ कैसे बात करूँगा,
अब मैं आपको एक पत्र लिखूँगा,
एक नींद,
थोड़ा चैन और कुछ स्वप्न लिखूँगा,
एक क्षितिज,
नीला आकाश और आपको चाँद लिखूँगा,
एक सुबह,
एक शाम और अधूरी रात लिखूँगा,
वो मुलाक़ात,
अनकही बात और आपकी आवाज़ लिखूँगा,
आपकी यादें,
कुछ वादे और उन पर प्रश्न लिखूँगा,
कहीं प्रेम,
कुछ मर्म और फिर दर्द लिखूँगा,
एक ग्रंथ और एक काव्य जिसमें आपका नाम लिखूँगा,
या शायद मैं आपको अंत के भी पार मिलूँगा,
पर एक दिन मैं जरूर आपको एक प्रेम पत्र लिखूँगा।
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