इंसान को
कितना कुछ बदल देता है
प्रथम प्रेम
उमंग और उत्साह लिए
लौट जाता है वह
बचपन की दुनिया में
कुछ सपने लिए…
दिन, महीने, वर्ष
काट देता है
कुछ पलों में
कुछ वायदे लिए…
बेचैन रहता है
उसे पूरा करने के लिए
झूठ बोलता है
विरोध करता है
विद्रोह करने के लिए भी
तत्पर रहता है
सूख का एक कतरा लिए…
घूमता रहता है
सहेज कर उसे
अपने प्रियतम के लिए
हाँ, सचमुच!
बावरा कर देता है
इंसान को प्रथम प्रेम।
0 Comments